
रसड़ा (बलिया)।सनातन धर्म के उत्थान, उसके संस्कार व संस्कृति के प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने महंत कौशलेंद्र गिरि को महामण्डलेश्वर बनाया।144 वर्ष बाद प्रयागराज के पावन धरा पर हो रहे महाकुंभ में संत समाज के सर्वसम्मति से आपके नेतृत्व में सनातन धर्म उत्तरोत्तर वृद्धि करेगा।
छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध रसड़ा स्थित पूर्वांचल में आस्था के केंद्र श्रीनाथजी मठ के पीठाधीश्वर महन्त कौशलेंद्र गिरि जी को 20 जून 2011 को ब्रह्मलीन मंहत शंभु गिरि जी महाराज ने 16 वर्ष की उम्र में दिक्षित किया था।संगम नगरी प्रयागराज में लगे महाकुंभ में सनातन धर्म के 13 अखाड़ों में सबसे महत्वपूर्ण श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी द्वारा 2 फरवरी को बसंत पंचमी के पावन अवसर पर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद जी तथा पंचायती अखाड़ा के सचिव महंत यमुना पुरी जी सहित समस्त साधु-संतों के उपस्थिति में पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की गई। महंत कौशलेंद्र गिरि श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी से जुड़कर 26 जनवरी को विधिवत समस्त नागा संस्कार, उपदेश व दीक्षा ग्रहण किये थे। तत्पश्चात रविवार को संतों द्वारा विधि-विधान पूर्वक चादर ओढ़ाकर व माला पहनाकर उन्हें उपाधि प्रदान किया। अब वह महामंडलेश्वर स्वामी कौशलेंद्र गिरि जी के नाम से जाने जायेंगे। महामण्डलेश्वर बनाये जाने के बाद जिले भर के समस्त भक्तों में हर्षोल्लास का माहौल है। कार्यक्रम के अंत में भोजन भंडारा प्रसाद कार्यक्रम के पाश्चात श्री श्री 1008 श्री स्वामी कौशलेंद्र गिरि जी महाराज ने भक्तों से आशीर्वाद प्रदान किए।