
रसड़ा (बलिया)।क्षेत्र के जाम गांव में रामलीला के नौवें दिन शनिवार की शाम को रामलीला मैदान में रामेश्वरम स्थापना, सेतु बंधना, अंगद रावण संवाद, लक्ष्मण को शक्ति लगने की लीला का सजीव मंचन किया गया। इसे देखने के लिए भारी संख्या में दर्शकों की भीड़ लगी रही। लीला मंचन के क्रम में लंका पर चढ़ाई के लिए रामेश्वरम शिव लिंग की स्थापना की गई जिसमें जामवंत जी के आग्रह पर स्वयं लंकेश रावण पुरोहित के रूप में पूजा सम्पन्न कराकर लंका लौट गया। ततपश्चात नल और नील के द्वारा समुद्र में पत्थरों पर राम नाम लिखा पत्थर फेंक सेतु का निर्माण किया गया। उस रास्ते से सबसे पहले दूत के रूप में रावण के पास भेजा जाता है। जहां बार वे रावण से माता सीता को वापस लौटने का सुझाव देते है, जिनका रावण उपहास करता है। बाद में अंगद के चुनौती के बावजूद रावण उनका पैर उठाना तो दूर हिला भी न सका। जिससे वह लज्जित तो हुआ किन्तु संधि के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद रामदल की तरफ से युद्ध मैदान में बानरी सेना के साथ लक्ष्मण जी आते हैं।

जिन्हें चार फाटक की लड़ाई के दौरान इन्द्रजीत मेघनाथ ने नाग पास बाण चला कर उन्हें मूर्छित कर दिया। युद्ध मैदान में लक्ष्मण जी के मूर्छित हो जाने पर प्रभु राम सहित बानरी सेना विलाप करने लगती है। उनके रुदन को सुन सभी दर्शकों की आंखे भी नम हो गई। मेला को संपन्न कराने में लक्ष्मण पांडेय, शैलेश, ओंकार, गिरीश, सुरेश, जयराम सिंह, घुरभारी, गोविंदा, भरत, अनिल आदि रहे।