
रसड़ा(बलिया)। 18 अगस्त से चल रही संस्कृति बोध परियोजना व्यापीकरण अभियान के तहत गुरुवार को नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर अखनपुरा में गरिमामयी कार्यक्रम का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के बौद्धिक शिक्षण प्रमुख मिथिलेश नारायण रहे। शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि नारायण ने अपने उद्बोधन में छात्रों को भारतीय संस्कृति के महत्व का स्मरण कराया। उन्होंने कहा कि हमारी जीवनशैली, वेशभूषा, व्यवहार, खानपान और आचार-विचार सभी भारतीय संस्कृति के अनुरूप होने चाहिए। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण से आज समाज में कई विकृतियां पनप रही हैं। ऐसे समय में भारतीय संस्कृति का ज्ञान और उसका आचरण ही समाज को सही दिशा दे सकता है।इस दौरान “भारतीय संस्कृति बोध” पुस्तक का विमोचन भी किया गया। यह पुस्तक छात्रों को भारतीय परंपरा, आचार-संहिता और जीवन मूल्यों से परिचित कराने में सहायक सिद्ध होगी। मुख्य अतिथि ने कहा कि भारतीय संस्कृति केवल एक जीवन पद्धति ही नहीं, बल्कि यह एक सर्वोच्च और वैज्ञानिक परंपरा है, जिसे हमारे ऋषि-मुनियों ने जीवन को समग्र बनाने के लिए स्थापित किया था। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य डॉ. राजेंद्र पांडे, संस्कृति ज्ञान के संयोजक डॉ. मार्कंडेय वर्मा, प्रधानमंत्री आंचल सिंह, प्रदीप समेत अनेक गणमान्य विद्वानों का विशेष योगदान रहा। सभी ने मिलकर महर्षियों द्वारा स्थापित भारतीय श्रेष्ठ परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डाला और छात्रों को इसे आत्मसात करने हेतु प्रेरित किया।