
लालगंज (बलिया)। अवधूत संत परम तपस्वी श्री विनय ब्रह्मचारी जी ने कहा कि साधु और सज्जन व्यक्तियों का स्वभाव होता है कि सब लोग सुखी और निरोग रहें, किसी के भाग्य में दुख न आए। सज्जन व्यक्ति तन, मन और शरीर से सदा दूसरों का उपकार करते हैं।
रविवार को मुरारपट्टी स्थित चुनु पाठक के मंदिर पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित अखंड भगवन्नाम संकीर्तन के समापन पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित कर रहे थे।
स्वामी जी ने कहा कि शास्त्रों और गुरुओं के अनुसार चिंतन और आहार-व्यवहार करना ही श्रेष्ठ माना गया है, जिससे पुण्य फल प्राप्त होता है। उन्होंने पाँच तत्वों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शरीर पंच महाभूतों से निर्मित है—पृथ्वी तत्व से हड्डियाँ, जल तत्व से रक्त व गीली चीजें, अग्नि तत्व से शरीर की गर्मी, वायु तत्व से श्वसन व शारीरिक क्रियाएँ और आकाश तत्व से शरीर के छिद्र बने हैं। इसी प्रकार सम्पूर्ण सृष्टि भी इन्हीं पाँच तत्वों से बनी है।
पुरुष की दृष्टि से देखें तो आत्मा ही सबका साक्षी, द्रष्टा और प्रकाशक है, जो सम्पूर्ण जगत को आलोकित करता है।
कार्यक्रम के दौरान राजेन्द्र पाठक, मनोज पाठक, प्रदीप पाठक (गुड्डू), संदीप पाठक, प्रभुनाथ पाठक, दया शंकर पाठक, संजय पाठक, मनीष, डॉ. बी.के. ओझा समेत अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।