
बलिया (उत्तर प्रदेश)। शुक्रवार की रात बलिया जिला अस्पताल में जो दृश्य सामने आया, उसने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी। करीब आधे घंटे तक अस्पताल की बिजली गुल रही, जिससे इमरजेंसी वार्ड समेत पूरा परिसर अंधेरे में डूब गया। इस दौरान डॉक्टरों को मोबाइल की टॉर्च से मरीजों का इलाज करना पड़ा, वहीं ऑक्सीजन सपोर्ट पर तड़पते मरीजों की हालत बिगड़ती रही।
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि अस्पताल परिसर में जनरेटर उपलब्ध होने के बावजूद बिजली बहाल नहीं की जा सकी। न अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया, न बिजली विभाग ने कोई तत्परता दिखाई। दोनों विभागों ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टाल दी, जबकि मरीजों की जिंदगी अधर में झूलती रही।
पूरे घटनाक्रम पर जब मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) डॉ. एस.के. यादव से सवाल किया गया तो उनका बयान सबको हैरान कर गया। वायरल वीडियो और मरीजों की दुर्दशा पर उन्होंने कहा ।
“वीडियो वायरल हो रहा हो तो होने दीजिए। जनरेटर ठीक है। ये बिजली विभाग का काम है, मेरा थोड़ी है। पूरे जिले में बिजली की व्यवस्था खराब है। अस्पताल में ही बिजली कटी तो कौन सी बड़ी बात है?”
संवेदना की कमी, सिस्टम की संवेदनहीनता
सीएमएस के इस बयान ने न केवल उनकी संवेदनहीनता को उजागर किया, बल्कि स्वास्थ्य तंत्र की तैयारियों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस अस्पताल में मरीज जिंदगी और मौत से जूझते हैं, वहां इस तरह की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया प्रशासन की नाकामी का स्पष्ट प्रमाण है।
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दब कर रह जाएगा।
तथ्य संक्षेप में:
- बलिया जिला अस्पताल में आधे घंटे से अधिक समय तक बिजली गुल।
- इमरजेंसी समेत अस्पताल का पूरा परिसर अंधेरे में डूबा रहा।
- टॉर्च की रोशनी में हुआ इलाज, ऑक्सीजन पर निर्भर मरीजों की हालत बिगड़ी।
- जनरेटर के बावजूद बिजली बहाल नहीं, विभागों में जिम्मेदारी की टालमटोल ।