
नगर के बालेश्वर मंदिर के सामने भोर में ही लग गई थी कतार
बलिया। इस साल सोमवारी से शुरू हुए सावन के पहले दिन सोमवार को शिव मंदिरों पर भक्तों का सैलाब उमड़ा। सर्वाधिक भीड़ शहर के मध्य में स्थापित बाबा बालेश्वर नाथ के प्राचीन मंदिर पर दिखा। भोर में मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही बाबा के भक्तों की कतार लग गई थी। इसमें वृद्ध, महिला पुरुष और बच्चे शामिल थे। दर्शन-पूजन का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। गंगा नदी में स्नान करने के बाद भक्त बाबा का दर्शन-पूजन व जलाभिषेक करने के लिए पहुंच रहे थे। रुद्राभिषेक आदि के लिए आसपास के साथ ही बिहार समेत अन्य प्रांतों के भी श्रद्धालु यहां आते हैं। जिले के अन्य मंदिर पर भी श्रद्धालुओं के भारी भीड़ रही।

बालेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास
मान्यता है कि बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर को सैकड़ों वर्ष पहले दियारा क्षेत्र में राजा बलि ने स्थापित किया था। राजा बलि की नगरी बलिया का नाम पहले बलियाग था जो बलि की राजधानी मानी जाती थी। राजा बलि महान शिवभक्त थे। उन्होंने ऋषि वाल्मीकि से बालू का शिवलिंग बनवाकर विधि-विधान से स्थापित कराया था। जब प्राण-प्रतिष्ठा की गई तो शिवलिंग पत्थर का हो गया। गंगा की कटान की वजह से मंदिर का स्थान बदलता रहा है। वर्तमान स्थान पर मंदिर तीसरे परिवर्तन के बाद स्थापित हुआ है। कहा जाता है कि गंगा के कटान के कारण पहला मंदिर नदी में विलीन हो गया लेकिन लोगों ने शिवलिंग को निकाल लिया। दूसरी बार शहर बसा तो इसे अंग्रेज मजिस्ट्रेट ने एक हिंदू ब्राह्मण अधिकारी से स्थापित कराया। फिर बाढ़ आई तो मंदिर के नष्ट होने की संभावना देख उस समय के पुजारी शिवदेनी भारती व अन्य लोग शिवलिंग को बैलगाड़ी पर रखकर वर्तमान बलिया नगर ले आए और इसे स्थापित किया, जो आज बालेश्वर मंदिर के रूप मे विख्यात है। वर्तमान मंदिर का निर्माण उस समय के विख्यात व्यापारी लक्षु भगत व बिल्लर भगत की पहल पर हुआ था। मंदिर में शिवलिंग की स्थापना उस समय के महान संत मौनी बाबा ने कराई थी। मान्यता है कि मौनी बाबा की एक लंगोटी कमर में तो एक आकाश में सूखती थी। कहा जाता है कि लक्षु व बिल्लर भाई थे और उनकी 52 जिलों में गद्दी चलती थी। नगर के धनाढ्य व्यवसायी लक्षु व बिल्लर ने शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा बहुत ही भव्य तरीके से कराई थी। श्रद्धालुओं की अटूट आस्था व विश्वास के केंद्र इस मंदिर में वर्ष पर्यत अनुष्ठान व मांगलिक आयोजन आदि होते रहते हैं।
72 साल बाद अद्भुत संयोग
शिव भक्तों के लिए सावन मास में 72 साल बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार सावन महीने की शुरुआत और समाप्ति दोनों सोमवार से होगी। 29 दिनों के सावन महीने में कुल पांच सोमवार पड़ रहे हैं। साथ ही प्रीति और आयुष्मान योग के साथ सिद्धि योग का भी अद्भुत संगम है। ऐसे महायोग में देवाधिदेव महादेव की पूजा-अर्चना करने वाले आस्थावानों पर भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती है।