अध्यात्मबलिया

Ballia News : सावन के दूसरे सोमवार को शिवालयों पर उमड़ा जन सैलाब

हजारो श्रद्धालुओ ने किया जलाभिषेक,सोमवार को शिव मंदिरों पर भक्तों का सैलाब उमड़ा। शहर से 18 किलोमीटर दुर स्थापित बाबा छितेश्वर नाथ के प्राचीन मंदिर पर दिखा।

Ballia News : सावन के दूसरे सोमवार को शिवालयों पर उमड़ा जन सैलाब। इस साल सोमवारी से शुरू हुए सावन के दूसरे दिन सोमवार को शिव मंदिरों पर भक्तों का सैलाब उमड़ा। शहर से 18 किलोमीटर दुर स्थापित बाबा छितेश्वर नाथ के प्राचीन मंदिर पर दिखा। भोर में मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही बाबा के भक्तों की कतार लग गई थी। इसमें वृद्ध, महिला पुरुष और बच्चे शामिल थे। दर्शन-पूजन का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। रुद्राभिषेक आदि के लिए आसपास के साथ ही जिलेभर के श्रद्धालु यहां आते हैं। जिले के अन्य मंदिर पर भी श्रद्धालुओं के भारी भीड़ रही।

बाबा छितेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास(History of Baba Chiteshwar Nath Temple)

जिला मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर पूर्व बांसडीहरोड सहतवार मार्ग पर कुसौरा गांव से एक किलोमीटर दक्षिण दिशा में छितेश्वर नाथ महादेव मंदिर त्रेतायुग से आस्था व विश्वास का केंद्र रहा है । मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है । बाबा छितेश्वर नाथ का शिवलिंग स्वयंभू है।
जनश्रुतियों के अनुसार पदम् पुराण में स्थान का वर्णन है ,जहां लंका पर विजय के पश्चात जब श्रीराम अयोध्या वापस आये तो उन पर विद्वानों ने ब्रह्म हत्या के दोष होने की बात बताया, जिसके निवारण हेतु उन्होंने छितौनी के शिव सरोवर में आकर स्नान किया और पूजा पाठ कर ब्रह्म हत्या के दोष से अपने को पापमुक्त किया । वनवास कालखंड में महर्षि वाल्मीकि ने माता सीता के हाथों इस शिवलिंग की स्थापना कराया था ,आज भी छितौनी स्थित वाल्मीकि आश्रम और यहां पर प्राचीन कालखंड से मौजूद मूर्तियां और कुश के नाम पर स्थित कुसौरा गांव इस बात का प्रमाण है । शास्त्रों में बाबा छितेश्वर नाथ को लव और कुश के द्वारा पूजा करने के कारण कुशेश्वर, छितेश्वर नाथ के नाम से भी जाना गया ।कालांतर में जब यह स्थान विरान हो गया तब बहुवारा गांव के किसी को सपने में यह स्मरण आया कि छितौनी स्थित वाल्मीकि आश्रम के पास एक शिवलिंग है, जहां लोगों के द्वारा जब खुदाई हुई तो बाबा के शिवलिंग का पता चला ,परंतु इन्हें ऊपर लाने के सारे प्रयास विफल हो गए इन्हें जितना ऊपर लाने का प्रयास किया जाता यह शिवलिंग उतना ही नीचे चला जाता था। ,तब बाबा के स्वरूप को ज्यों का त्यों छोड़ दिया गया ,और आज भी उसी अवस्था मे बाबा की पूजा होती है ,चूंकि जमीन की सतह से नीचे होने के कारण ये छितीश्वर नाथ(Baba Chiteshwar Nath Temple) के नाम से जाने गए ,जिन्हें लोग आम बोलचाल की भाषा मे छितेश्वर नाथ के रूप में पूजा पाठ करते है ।

अखंड दिप जलाने से पूरी होती है मनोकामना

छितेश्वर नाथ महादेव के बारे में(About Chiteshwar Nath Mahadev)

लोगों का अटूट विश्वास है कि जलाभिषेक और चौबीस घण्टे अखंड दीप जलाने से मांगी गयी हर मनोकामना पूर्ण होती हैं। जिनकी मनोकामना पूर्ण होती है वे लोग इस स्थान पर एक घण्टी बांध देते है, मंदिर में इस समय हजारों की तादात में घण्टियां लगी है ,यहां पांच सौ साल से अधिक पुराना प्राचीन काल खंड का घण्टा भी मौजूद है। यहां के शिव सरोवर में मौजूद दुर्लभ प्रजाति की रंगीन मछलियों को देखना भी एक आकर्षण का केंद्र है मंदिर के पुजारी ने बताया की आस्था, श्रद्वा विश्वास के साथ जो पूजा पाठ करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होती l

72 साल बाद अद्भुत संयोग

शिव भक्तों के लिए सावन मास में 72 साल बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार सावन महीने की शुरुआत और समाप्ति दोनों सोमवार से होगी। 29 दिनों के सावन महीने में कुल पांच सोमवार पड़ रहे हैं। साथ ही प्रीति और आयुष्मान योग के साथ सिद्धि योग का भी अद्भुत संगम है। ऐसे महायोग में देवाधिदेव महादेव की पूजा-अर्चना करने वाले आस्थावानों पर भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती है।

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