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राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय शिविर के चौथे दिन सेवा, ज्ञान,योग, खेल एवं संस्कृति के बारे में छात्राओं को दी गई जानकारी


दुबहड़,(बलिया)।क्षेत्र के शहीद मंगल पांडेय राजकीय महिला महाविद्यालय में चल रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर के चौथे दिन गुरुवार को विविध गतिविधियों का सफल आयोजन किया गया। पूरे दिन स्वयंसेवकों ने सेवा, ज्ञान, खेल और संस्कृति के माध्यम से समाजिक चेतना के प्रसार में सक्रिय भागीदारी निभाई। दिन का शुभारंभ प्रातः सामूहिक योग अभ्यास से हुआ, जिसमें प्रशिक्षित स्वयंसेवकों के मार्गदर्शन में छात्राओं ने ध्यान और विभिन्न योगासन किए। इससे उनमें मानसिक शांति एवं शारीरिक स्फूर्ति का संचार हुआ। इसके उपरांत स्वयंसेवकों ने ग्राम सभा नगवा में सामाजिक सर्वेक्षण किया, जिसमें उन्होंने परिवारों से संवाद कर शिक्षा, स्वास्थ्य, मंत्री महिला स्थिति एवं रोजगार जैसे विषयों पर जानकारी एकत्र की। यह सर्वेक्षण छात्राओं के लिए ग्रामीण जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू होने का सशक्त माध्यम बना। द्वितीय के बौद्धिक सत्र में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्मशताब्दी को समर्पित व्याख्यान का आयोजन हुआ। मुख्य वक्ता डॉ. अनिल तिवारी असिस्टेंट प्रोफेसर, कमला देवी बिजौरिया स्नातकोत्तर

महाविद्यालय, दुबहर बलिया ने अटल जी का जीवन, व्यक्तित्व एवं उपलब्धियाँ विषय पर प्रेरणादायक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने अटल जी की राजनीतिक सूझबूझ, साहित्यिक संवेदना और राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव को विस्तार से रेखांकित किया। सायंकालीन सत्र में ग्रामीण पारंपरिक खेलों जैसे रस्साकशी, और खो-खो का आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इन खेलों ने न केवल मनोरंजन का वातावरण बनाया बल्कि टीम भावना और सांस्कृतिक मूल्यों को भी प्रोत्साहित किया। इसके बाद आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने नाटक, देशभक्ति गीत, कविता-पाठ और लोकनृत्य के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति एवं राष्ट्रीय भावना को अभिव्यक्त किया, जिसे उपस्थित दर्शकों ने खूब सराहा। रात्रिकालीन सत्र में चर्चा एवं अनुभव साझा सत्र आयोजित हुआ, जिसमें स्वयंसेवकों ने दिनभर की गतिविधियों पर विचार साझा किए। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने के अनुभव को बेहद ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताया। रात्रि भोजन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। चौथे दिन की गतिविधियाँ स्वयंसेवकों के शारीरिक अनुशासन, सामाजिक चेतना, वैचारिक विकास और सांस्कृतिक अभिरुचि को विकसित करने में अत्यंत सफल रहीं। यह दिन “सेवा, संस्कार और समाज निर्माण” की भावना का सजीव उदाहरण बन गया।

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