
रसड़ा (बलिया)।क्षेत्र के जाम गांव के रामलीला मैदान में आठवें दिन शुक्रवार की शाम को भगवान राम से सुग्रीव मिलन, बाली बध, तारा विलाप और लंका दहन लीला का सजीव मंचन किया गया।इसे देखने के लिए दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ी। लीला मंचन के क्रम में सीता की खोज में घूम रहे प्रभु राम की मुलाकात हनुमानजी द्वारा बानर राज सुग्रीव से करायी गया। जहां सुग्रीव ने अपने भाई बाली के द्वारा उनकी पत्नी तारा को जबरदस्ती अपने पास रखने की पीड़ा सुनाई गई। तब प्रभु ने कहा कि पहले हम उस पापी बाली को मृत्यु दंड देकर राजपाठ व पत्नी को वापस लौटाऊंगा। तब माता सीता की खोज होगी। इस प्रकार प्रभु राम ने बाली को मारने के लिए सुग्रीव को बाली को युद्ध के लिए ललकारने को कहा गया। फलतः युद्ध मैदान में बाली सुग्रीव के बीच मल्ल युद्ध होने लगा। तभी छिपकर भगवान राम ने बाली को बाण चला कर उसका बध कर दिया। बाली की मृत्यु के बाद पत्नी तारा के विलाप से सभी लोग गमगीन हो गये। आगे माता सीता की खोज के लिए हनुमान को वायु मार्ग से उड़कर लंका जाने को कहा गया। हनुमान लंका में जाकर अशोक वाटिका में बैठी माता सीता को प्रभु राम द्वारा दिये गए मुद्रिका को देकर रामदूत के रूप में उनसे मिलते हैं। जहां भूख लगने पर वे लंका के पेड़ों से फल खाते और पेड़ों को तोड़ फेकने लगते हैं जिसकी शिकायत पर लंका पति रावण ने अपने पुत्र अक्षय कुमार को हनुमान पकड़ने के लिए भेजा गया। जहां अक्षय कुमार का हनुमान द्वारा बध कर दिया जाता है। यह दुखद समाचार मिलते ही लंकेश रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ को हनुमान को पकड़ कर दरबार मे लाने को कहा गया।मेघनाथ के द्वारा ब्रह्मफास में हनुमान को पकड़ कर लंका दरबार में लाया गया। जहां रावण द्वारा हनुमान जी की पूछ में आग लगवा दिया है। ततपश्चात जलती पूंछ से हनुमान ने पूरी सोने की लंका को जलाकर राख कर दिया गया।