अध्यात्मकार्यक्रमबलिया

ज्ञान योग, कर्म योग एवं भक्ति योग में सर्वश्रेष्ठ भक्ति योग ही होता है: बद्रीनाथ बनमली

दुबहड़(बलिया)। संसार में जो व्यक्ति बिना काम का है, निकम्मा है वह जीवित रहते हुए भी मृतक के समान है । उक्त बातें क्षेत्र के बुलापुर स्थित श्री हनुमतधाम रामानुज आश्रम पर रविवार की शाम श्रीमद भागवत कथा में प्रवचन करते बद्रीनाथ वनमाली जी ने कही। कथा के दौरान उन्होंने समुद्र मंथन की कथा को विस्तार से सुनाते हुए कहा कि समुद्र मंथन से अनेक रत्न मिले, जिसमें सर्वाधिक लाभ भगवान विष्णु को हुआ उन्हें समुद्र से निकले कई रत्न प्राप्त हुए । कहा कि जो व्यक्ति शांत रहता है उसे सबसे ज्यादा मिलता है और भगवान विष्णु शान्ताकारम है । कहा कि ज्ञान योग, कर्मयोग, भक्ति योग में सर्वश्रेष्ठ भक्ति योगी ही है । क्योंकि ज्ञान योग से भगवान को जाना जा सकता है, कर्मयोगी भगवान तक जा सकता है, लेकिन भक्ति योगी भगवान को पा सकता है । कहा कि मनुष्य का यह जीवन अमृत के समान ही है क्योंकि 84 लाख योनियों में भटकने के बाद कई जन्मों के पुण्य प्रताप से मनुष्य का तन मिलता है । लेकिन इस अमृत रूपी जीवन को लोग व्यर्थ ही गवां रहे हैं । चिंतन करिए कि भगवान ने जिस काम के लिए हम लोगों को धरती पर भेजा है क्या हम वह काम कर रहे हैं । जिसके अंदर तृष्णा भरी पड़ी है वह संसार का सबसे दरिद्र व्यक्ति है । जो व्यक्ति संतोषी है वह संसार का सबसे बड़ा धनी है । जब मिले संतोष धन सब धन धुरी समान.. कथा के दौरान कई आनंद मई भजन सुनाकर लोगों को भक्ति के रस खूब डुबोया। कथा में क्षेत्र के अनेक महिला पुरुष अधिक संख्या में उपस्थित रहे ।

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